यादों के झरोखे से " महिला ही महिला को नही समझ पाती "
दोस्तों! आज यादों के झरोखे में कैद उस दिन के बारे में बातें करेंगे जिस दिन अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस था। उस दिन दूसरों से ही इस दिन की शुभकामनाएं मिली थी क्योंकि घर में तो किसी ने महिला दिवस की शुभकामनाएं दी ही नही थी। हम महिलाओं का जन्मदिन तो किसी को याद रहता ही नहीं है यह महिला दिवस क्या याद रहेगा हम जिस समाज में रहते हैं वहाॅं महिलाओं को यह नहीं कहा जाता है । हम महिलाओं को तो बस घर के काम ही कहे जाते है जैसे कि मेरे लिए अदरक वाली चाय बना दो । आज ऑफिस जल्दी जाना है मेरा ब्रेकफास्ट और लंच जल्दी रेडी कर देना । बच्चों को आज तुम ही स्कूल छोड़ने चली जाना क्योंकि आज मेरे ऑफिस में बहुत ही इंपोर्टेंट मीटिंग हैं । चाय बना दो , काॅफी बना दो, खाना बना दो, यह आए हैं वह आए हैं आदि... इत्यादि । यहाॅं तक कि जिस दिन हमारा खुद का बर्थडे भी हो तो हमें ही दस तरह के पकवान बनाने का फरमान सुना दिया जाता है लेकिन कोई बात नहीं ! यह सब करने में हमें खुशी भी तो मिलती है ।
दोस्तों ! हम सब एक-दूसरे को जानते हैं, समझते हैं इसलिए तो आपस में अपना सुख - दुःख बाॅंटने चलें आते हैं । तुम भी तो जानती ही हो कि मेरे घर की तरह अधिकांश महिलाओं के घर में भी रोज जैसे दिन गुजरता है वैसे ही गुजरा होगा और गुजर रहा होगा । उस दिन
मैं भी जब सुबह उठी तो सुबह की शुरुआत रोज की तरह ही हुई लेकिन जब मैं सुबह की चाय बना रही थी तो मेरी सास और मेरे पति कुछ बातें कर रहे थे । वे दोनों डाइनिंग हाॅल में बातें कर थे और मैं किचन में थी इसकारण उनकी बातें मुझे भी सुनाई दे रही थी । वे दोनों हमारे मोहल्ले में रहने वाली मिसेज संध्या के बेटे और बहू की बातें कर रहे थे । मैं पहले तो उनके परिवार के बारे में ज्यादा कुछ नहीं जानती थी लेकिन अभी कुछ दिनों से कुछ सुना था । मिसेज संध्या का हमारे घर आना - जाना हफ्ते में एक दो बार हो ही जाता है इसी से तुम समझ गई होगी कि वह मेरी माॅंजी ( सास ) से मिलने आती है । जब मैं चाय - नाश्ता लेकर उनके पास जाती हूॅं तो कुछ - ना - कुछ सुनाई पड़ ही जाती है । मेरे कानों ने जो सुना था उससे साफ पता चलता था कि वह अपनी छोटी बहू को पसंद नहीं करती है । उनकी दो बहूएं है जिनमें रीना दूसरे नंबर पर है । आज सुबह उन्हीं की बातें हो रही थी। हुआ यह था कि कल मिसेज संध्या की छोटी बहू रीना और उनके छोटे बेटे राजीव के बीच का झगड़ा इतना बढ़ गया कि रीना को उसके पति ने घर से निकाल दिया और रीना भी अपने भाई के साथ मायके चली गई ।
दोस्तों ! मैंने रीना के बारे में जितना सुना है और एक दो बार वह मुझसे मिली भी है मुझे तो बहुत प्यारी लगी । एक बात और कहूं एक दिन जब मैं अपने छत पर कपड़े सुखने के लिए रखने गई थी हमारी बगल वाली ने बातों ही बातों में रीना का जिक्र कर दिया था । वह कह रही थी कि रीना अर्थशास्त्र से पी.एच.डी. कर रही है और समझदार भी है । उसकी सास यानि मिसेज संध्या की उससे बिल्कुल भी नहीं बनती है क्योंकि रीना गलत होते हुए नहीं देख सकती थी और वह अपनी सास को जो गलत है उसके बारे में बोल देती थी । मिसेज संध्या के पड़ोसियों ने दोनों के बीच तू - तू , मैं - मैं सुना था और आस - पड़ोस के लोगों का कहना था कि मिसेज संध्या ने अपनी बड़ी बहू को जैसे आजतक दबा कर रखा हुआ था वैसे ही रीना पर भी हुक्म चलाना चाहती थी जिसका रीना ने अपनी जेठानी और अपने लिए खुलकर विरोध करना शुरू कर दिया था और मिसेज संध्या को यहाॅं तक कह दिया था कि मम्मी जी जरूरी नहीं कि आप हर समय सही हो और हम आपकी बातें ही मानें । आपकी जो बातें इस परिवार के हित में होंगी वो करने में मैं पीछे नहीं रहूॅंगी लेकिन गलत बातों का मैं विरोध करना नहीं छोड़ूंगी । इस बात को लेकर मिसेज संध्या ने तो घर में महाभारत ही छेड़ दी थी । मिसेज संध्या का छोटा बेटा राजीव अपनी माॅं का लाडला था इसकारण वह अपनी माॅं का कभी विरोध ही नहीं कर पाया। वह अपनी पत्नी को ही गलत मानता चला गया और हालात कल ऐसे हो गए कि वह आज भी अपनी पत्नी और दो साल के बेटे से अलग रह रहा हैं ।
दोस्तों ! ऐसी औरत के बारे में सुनकर बहुत बुरा लग रहा है कि उसे गलत को ग़लत कहने की आज सजा मिल रही है । उसने गलत के खिलाफ आवाज तो उठाई लेकिन उसका पति जिसने शादी के वक्त वादे किए थे कि वह किसी भी हालत में उसका साथ नहीं छोड़ेगा ।कल उसने अपनी पत्नी का साथ छोड़ दिया । एक दिन जब मि्सेज संध्या मेरी माॅंजी ( सास ) से मिलने आई थी तो बातों ही बातों में उन्होंने कहा था कि आजकल की लड़कियां क्या जानें सास कैसी होती थी। हम लोगों ने जो सास का हुक्म और जुल्म दोनों सह रखा है वैसा अगर इनके साथ हो तो ये लड़कियां एक दिन भी नहीं टिक पाएंगी ।
दोस्तों ! मुझे तो ऐसा लगा था कि उन्होंने अपनी सास को अपने साथ करते हुए जो देखा था, वही अब वो अपनी बहुओं के साथ कर रही थी । जिसे उनकी एक बहू ने तो सह लिया लेकिन दूसरी बहू रीना को यह सब ग़लत लगा और उसने इन बातों का विरोध करना शुरू कर दिया और आज उसे उसकी सजा सास और पति के द्वारा दी गई थी। उस सुबह जब मैंने यह सारी बातें सुनी उसमें मैंने यह भी सुना कि मिसेज संध्या ने पड़ोस में कहा था कि मेरे लाडले बेटे के लिए लड़कियों की कमी नहीं है । इस रीना से अपने बेटे का तलाक करवा कर वह दूसरी लड़की से अपने बेटे राजीव की शादी करवाना चाहती थी ।
दोस्तों ! यें सारी बातें पढ़कर इतना तो आप सब समझ ही गए होंगे कि यहाॅं एक महिला ही महिला को नहीं समझ पा रही थी और अपने झूठी शान दिखाने के चक्कर में अपने बेटे का घर बसाने की बजाय तोड़ रही थी । मिसेज संध्या यह क्यों नहीं सोच रही थी कि जो जुल्म और दर्द मैंने अपनी सास से सहा है वह कम से कम दूसरी कोई महिला मेरे द्वारा ना सहे । वह तो वो दर्द सह चुकी है फिर भी उसी दर्द को वह अपनी बहुओं को बस इसलिए देना चाहती है कि उनकी सास ने उन्हें दिया था । क्या उनका यह सोचना गलत नहीं है ?? । क्या वह अपने लाडले बेटे को वह दर्द देना चाहेंगी जो कहीं ना कहीं उन्होंने भोगा है ??
दोस्तों! कोई भी माॅं नहीं चाहती कि उसके बच्चों को तकलीफ़ हो । माॅं - बाप तो हमेशा से यह चाहते है कि जो जिंदगी हमने जी है या जी रहे हैं उससे बेहतर जिंदगी उनके बच्चें जीएं । एक तरफ तो वह कहती है कि राजीव उनका लाडला है और उसी लाडले बेटे को उन्होंने अपने बेटे से अलग कर दिया । क्या एक पिता अपने बेटे को भूल पाएगा ?? उसका भी तो मन अपने बेटे के साथ खेलने का करेगा । जैसे मिसेज संध्या अपने बेटे को लाडला मानती है क्या उनका बेटा अपने बेटे को अपना लाडला नहीं मानता होगा ?? वह अपने बेटे से प्यार नहीं करता होगा ?
दोस्तों! उस अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस है के दिन क्या रीना यह नहीं सोच रही होगी कि एक महिला ने उसे समझने का कभी भी प्रयास नहीं किया और उनके द्वारा फैलाई गई गलतफहमियों के कारण आज उसके और उसके पति के बीच इतनी दूरियाॅं आ गई है कि बात तलाक तक पहुॅंच चुकी है ।
दोस्तों ! मैंने उस दिन रीना के लिए देवी माॅं से प्रार्थना भी की थी और उनसे कहा कि आप ऐसा चमत्कार करो कि रीना और राजीव फिर से एक हो जाएं । मैं आज भी चाहती हूॅं कि देवी माॅं की कृपा से एक बच्चा अपने पिता से और एक पत्नी अपने पति से कभी भी अलग ना हो । शायद! कभी वह दिन आ जाए क्योंकि मैंने सुना है कि उन दोनों का आज तक तलाक नहीं हुआ है लेकिन फिर भी दोनों आज तक अलग ही रह रहे हैं, एक नहीं हुए हैं।
दोस्तों! अब आप सभी से विदा लेने का समय हो चुका है लेकिन विदा लेने से पहले मैं तुमसे कुछ कहना चाहती हूॅं 😊
🙏🏻🙏🏻आप सब अपना ख्याल रखें, खुश रहें और सबसे महत्वपूर्ण बात हमेशा हॅंसते-मुस्कुराते रहें 🙏🏻🙏🏻
धन्यवाद 🙏🏻🙏🏻
" गुॅंजन कमल " 💓💞💗
Varsha_Upadhyay
16-Dec-2022 06:56 PM
बहुत ही सुन्दर
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Muskan khan
13-Dec-2022 05:23 PM
Wonderful
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Sachin dev
13-Dec-2022 05:04 PM
Superb
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